October 2, 2011

किसी नजर को तेरा...कहाँ हो के ये दिल बेक़रार आज भी है

मैं अब भी जब कभी तुम्हे याद करता हूँ तुम्हारी वही बड़ी सी आश्चर्य से गोल आँखें याद आती है जब तुमने मुझे बताया था कि तुम्हारे घर भी कंप्यूटर आ गया गया है.. जाने क्यों तुम्हारा वह चेहरा ही आँखों के सामने आता है जबकि उसके बाद अनगिनत दफ़े तुम्हें देखा है..

सच कहूँ तुम्हारी तलाश में अब तक भटक रहा हूँ.. भ्रम में नहीं जी रहा हूँ, पता है की तुम मेरी तलाश कब की बंद कर चुकी हो, फिर भी.. जाने क्यों..

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